वर्तमान समय में हर कोई भगवान को पाना चाहता है। हर किसी की इच्छा होती है कि वह भगवान की उपासना करें और वर्तमान में सुख समृद्धि का आनंद लें। हिंदू धर्म में वैसे तो 33 कोटी देवी देवता हैं।
सभी अपनी श्रद्धा के अनुसार, भगवान का पूजन करते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कलियुग (Kaliyug) में कौन से ऐसे भगवान है जो रोजाना अपने भक्तों को दर्शन देते हैं और जिनका उपासना से व्यक्ति इस लोक में ही सुख संपत्ति और पापों से मुक्ति पा सकता है। तो आइए जानते हैं भविष्यपुराण से कलियुग में कौन से देवता की उपासना करना विशेष फलदायी है?
भविष्य पुराण में कलियुग से जुड़ा रहस्य
भविष्य पुराण में एक संवाद मिलता है। जिसमें सुमन्तु जी से महाराज शतमीकने ने सवाल किया है कि इस लोक (Kaliyug) में ऐसे कौन से देवते हैं जिनका पूजा स्तुति करने से मनुष्य सभी शुभ पुण्य और सुख का अनुभव करते हैं। वह आगे पूछते हैं कि ब्रह्मा, विष्णु औप रुद्र आदि देवता किसकी पूजा अर्चना करते हैं और कलियुग में आदिदेव किस देवता को कहा गया है। यह संवाद महाभारत काल से जुड़ा है। जो सुमन्तुजी जी ने महाराज से कहा है।
वेदव्यास और भीष्म पितामह का संवाद
सुमन्तुजी जी ने बताया कि महाभारत काल में वेदव्यास और भीष्म पितामह के बीच संवाद हुआ। एक समय वेदव्यास जी से भीष्म पितामह ने पूछा कि सर्वप्रथम भगवान भास्कर को प्रणाम करने के बाद ही बाकी देवी देवता को प्रणाम क्यों किया जाता है। इस लोक में कल्याण के लिए क्या करें?
कलियुग में कौन से भगवान की उपासना करें?
व्यास जी ने बताया कि कलियुग (Kaliyug) में भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को सिद्धि और सुख समृद्धि प्राप्त होती है। सभी देवताओं में आदिदेव भगवान भास्कर को ही कहा गया है। भगवान भास्कर इस संसार सागर के अंधकार को दूर कर सब लोकों और दिशाओं को प्रकाशित करते हैं। भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदि सभी सभी देवता भी आदिदेव भगवान आदित्य की पूजा करते हैं।
किसके पुत्र है सूर्यनारायण ?
भगवान सूर्यनारायण जिन्हें भास्कर, आदिदेव और आदित्य कहा जाता है वह अदिति और ऋषि कश्यप के पुत्र हैं। भगवान आदित्य ने ही संपूर्ण जगत को उत्पन्न किया है। देवता, असुर, सर्प, राक्षस, पक्षी आदि इंद्रादि देवता, ब्रह्मा, दक्ष, कश्यप सभी के भगवान आदित्य ही हैं।
कलियुग भगवान सूर्यनारायण की उपासना से क्या फल मिलता है?
कलियुग में भगवान सूर्यनारायण को नमस्कार मात्र से सभी देवताओं को नमस्कार प्राप्त हो जाता है। दिन, रात मुहूर्त आदि सभी पर भगवान सूर्य का प्रभाव होता है। कलियुग में जो व्यक्ति भी सूर्यदेव की उपासना करेगा उससे प्रसन्न होकर भगवान सूर्य उस व्यक्ति से संतुष्ट होकर उसे धन-धान्य, सुख, पुत्रादि और मोक्ष प्रदान करते हैं।
कलियुग में इस प्रकार करें सूर्यदेव की उपासना ?
व्यास जी ने आगे बताया कि कलियुग में भगवान सूर्य की उपासना करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से पवित्र होकर किसी शांत स्थान पर जाएं चाहे वह आपके घर का मंदिर ही हो लेकिन, वहां शांति होना बेहद जरूरी है। इसके बाद पूर्व की तरफ मुख करके सूर्य मंत्रों से जप करें। इसके बाद एक ताम्र के कलश में जल भरकर उसमें पुष्प डाल लें। इसके बाद सूर्यमंत्रों का जप करें और बाद में सूर्यदेव को यह जल अर्पित कर दें।