“मुर्शिदाबाद हिंसा: ज़मीनी हकीकत क्या कहती है? चश्मदीदों की ज़ुबानी”

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बिलकुल, नीचे आपकी रिपोर्ट को और बेहतर ढंग से पेश करने के लिए एक परिष्कृत और संपादित संस्करण दिया गया है। इसमें भाषा को थोड़ा और पत्रकारिता की शैली के अनुरूप ढाला गया है, जानकारी को सुव्यवस्थित किया गया है और वाक्यों को अधिक स्पष्टता और प्रवाह देने के लिए संशोधित किया गया है।

मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद लौटती ज़िंदगी: टूटी दुकानें, जली गाड़ियाँ और इंसानियत की मिसाल

धुलियान (मुर्शिदाबाद), पश्चिम बंगाल — वक़्फ़ (संशोधन) क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के बाद, अब मुर्शिदाबाद के धुलियान और आसपास के इलाक़ों में हालात धीरे-धीरे सामान्य होते नज़र आ रहे हैं। जो लोग हिंसा की वजह से अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए थे, वे अब लौटना शुरू कर चुके हैं।

हिंसा के दौरान तीन लोगों की मौत हुई थी, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए। बीबीसी हिंदी की टीम ने मंगलवार को ग्राउंड ज़ीरो से हालात का जायज़ा लिया।

हिंसा के निशान अब भी मौजूद

धुलियान की गलियों में अभी भी हिंसा की गवाही देने वाले दृश्य बचे हुए हैं—टूटे हुए मकान, जली हुई गाड़ियाँ और बंद दुकानें। मुख्य सड़कों से तो जली हुई गाड़ियाँ हटा दी गई हैं, लेकिन उनके जलने के काले निशान अब भी दीवारों और सड़कों पर साफ़ नज़र आते हैं।

कई घरों की खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं, दुकानों के शटर उखड़े हुए हैं और गलियों में पुलिस की गाड़ियाँ लगातार गश्त कर रही हैं। सीमा सुरक्षा बल (BSF) और केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं।

स्थानीय लोगों की आपबीती

बीबीसी को धुलियान में सूर्यदीप सरकार मिले। उन्होंने बताया, “प्रदर्शनकारियों ने मकानों और दुकानों पर हमला कर दिया था। मेरे घर के बाहर कुछ मुस्लिम छात्राएँ दौड़ती हुई आईं, वे डरी हुई थीं, रो रही थीं। हमने उन्हें शरण दी और बचाया। लेकिन जब हमने हमलावरों से कहा कि हम आपके ही समुदाय की बेटियों की जान बचा रहे हैं, तब भी किसी ने हमारी नहीं सुनी।”

उनके मुताबिक, हमलावरों ने उनके घर के बाहरी हिस्से को नुक़सान पहुँचाया, लेकिन अब हालात धीरे-धीरे शांत हो रहे हैं।

एक और स्थानीय निवासी, सुकांत भट्टाचार्य, ने बताया कि शुक्रवार को एक बड़ा जुलूस निकला था, जो लौटते समय हिंसक हो गया। “हम किसी तरह जान बचाकर भागे। घर का सारा सामान तोड़ दिया गया। क्या बचता, बस अल्लाह और भगवान ही जानते हैं,” उन्होंने कहा।

स्थानीयों का आरोप है कि हिंसा के दौरान लूटपाट की भी कोशिशें हुईं।

प्रशासन की कार्रवाई और सुरक्षा हालात

पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) जावेद शमीम ने बताया कि अब तक 200 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और 11 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें कुछ आरोपी नामज़द हैं जबकि कई अज्ञात हैं।

पीड़ितों और चश्मदीदों के बयानों के आधार पर और लोगों को चिन्हित कर पूछताछ की जा रही है। हालात को देखते हुए जिले में इंटरनेट सेवाएँ एहतियातन बंद रखी गई हैं।

राज्य के पुलिस प्रमुख राजीव कुमार ने बताया कि मालदा से भड़काऊ सामग्री फैलाई जा रही थी, जिसके चलते मुर्शिदाबाद से सटे इलाकों में भी इंटरनेट बंद करना पड़ा।

प्रशासन ने सीसीटीवी फुटेज के ज़रिए हिंसा में शामिल लोगों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

हाई कोर्ट और केंद्र सरकार की सक्रियता

हिंसा के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया था। यह आदेश पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के बाद आया, जिसमें उन्होंने हालात की गंभीरता को देखते हुए CRPF की माँग की थी।

केंद्रीय गृह सचिव ने भी राज्य के शीर्ष अधिकारियों से बातचीत कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।

मारे गए लोगों की पहचान

हिंसा में मारे गए लोगों की पहचान एजाज़ अहमद (17), हरगोविंद दास (65), और चंदन दास (35) के तौर पर हुई है। इसके अलावा कई अन्य लोग घायल हुए हैं, जिनका इलाज चल रहा है।

अब क्या?

हालात अब काबू में हैं लेकिन डर अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। कई लोग अब भी सतर्क हैं, जबकि कुछ टूटे घरों की मरम्मत और सामान समेटने में लगे हैं।

यह हिंसा एक बार फिर सवाल खड़े करती है — कि जब क़ानून से असहमति जताने के लोकतांत्रिक तरीक़े मौजूद हैं, तो विरोध की आड़ में ऐसी तबाही क्यों?

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