MODI:- (Money of Domestic Investors)

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प्रशांत शेखर (फाउंडर एंड सीईओफ़िनलिट एनालिटिक्स एल.एल.पी, नई दिल्ली)

भारतीय बाजार ऐसे बढ़ रहा है जैसे बढ़ना भारतीय बाजार की नियति हो और जो  विकास के पथ पर निरंतर प्रगतिशील है. एक सशक्त केन्द्रीय नेतृतव के वजह से पिछले एक दशक में भारतीय शेयर बाजार ने कई आयाम स्थापित किये है. जो विश्व को भारत की और देखने और सोचने पे मजबूर कर दिया है. इसका बहुत बड़ा श्रेय भारत के यशस्वी और प्रतिभाशाली प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी को जाता है. जिनके कुशल नेतृत्व और ग्रोथ ट्रांसपेरेंसी की वजह से भारतीय शेयर बाजार बुलंदियों पे है. पिछले एक दसक में विश्व के विकसित देशो का भारत के प्रति सोच में सकरात्मत बदलाव देखने को मिला है. और आने वाले समय में इस सोंच को और बल मिलेगा. जिसका सकारात्मक प्रभाव भारतीय शेयर बाजार में बढ़ना लाजमी है. विकास को लेकर वर्त्तमान केंद्रीय सरकार के जो संकल्प और समर्पण के साथ योजनाओ को जिस तरीके से क्रियान्वित किया जा रहा है वो सच में अद्भुत, अविश्वसनीय और अकल्पनीय है.

एक दौर था जब फॉरेन इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर्स  (एफ.आई.आई)  के वजह से भारतीय शेयर बाजार की दिशा और दशा तय होती थी अब ये बीते दिनों की बात हो गयी है. आज डोमेस्टिक इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर्स (डी.आई.आई) भारत की ग्रोथ स्टोरी में एक अहम् किरदार के रूप में सामने आया है. अचानक ऐसा क्या हो गया की घरेलू संस्थागत निवेशक (डी.आई.आई)  इतने सशक्त हो गए. ये समझने वाली बात है. सबसे पहले हमें यह जानना चाहिए की ये डोमेस्टिक इन्वेस्टर्स  आखिर है क्या?

घरेलू संस्थागत निवेशक वे संस्थागत निवेशक हैं जो जिस देश में स्थित हैं, वहां की प्रतिभूतियों और अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं । किसी देश के भीतर होने वाला निवेश घरेलू होता है। भारत में घरेलू निवेश को 2 भागों में बांटा गया है, सार्वजनिक और निजी । भारत में घरेलू संस्थागत निवेशकों के उदाहरण: म्यूचुअल फंड्स, बीमा कंपनियाँ, पेंशन फंड्स, बैंक्स, प्रोविडेंट फंड्स, ट्रस्ट्स आदि। पिछले एक दशक में डोमेस्टिक इन्वेस्टर्स की भागीदारी में अच्छा उछाल देखने को मिला है. भारतीय बाजार बहुत बड़े ग्रोथ स्टोरी के ऑर्बिट में प्रवेश कर चूका है. पिछले कुछ वर्षो से आम लोगो में शेयर बाजार में निवेश को लेके जागरूकता बढ़ी है.  और ये जागरूकता और सक्रियता यहीं नहीं रुकने वाली है. आंकड़े बताती है की डोमेस्टिक इन्वेस्टर्स पहले के तुलना में काफी मजबूत हुवे है और किसी भी प्रकार के एफ.आई.आई द्वारा आयी बिकवाली के दबाव को अब्सॉर्ब करने की छमता रखते है. प्रत्येक प्रकार के  घरेलू संस्थागत निवेशक (डी.आई.आई) अलग-अलग उद्देश्यों के लिए काम करता है और अलग-अलग नियामकीय ढांचे के तहत संचालित होता है। उदाहरण के लिए, म्यूचुअल फंड्स विभिन्न निवेशकों से पैसे एकत्र करके शेयरों, बांड्स, या अन्य संपत्तियों में निवेश करते हैं, जबकि बीमा कंपनियाँ पॉलिसीधारकों से एकत्रित प्रीमियम का प्रबंधन करती हैं ताकि लाभ अर्जित किया जा सके और दावों का भुगतान सुनिश्चित हो। इसी तरह पेंशन फण्ड के भी अपने उद्देश्य होते है. शीर्ष घरेलू निवेशकों में भारत के राष्ट्रपति, एस.बी.आई, आई.सी.आई.सी.आई, एच.डी.एफ.सी , कोटक और रिलायंस आदि समूह शामिल हैं।

वर्त्तमान में भारतीय बाजार 20x, 1 ईयर फॉरवर्ड अर्निंग पे कारोबार कर रहा है जो की थोड़ा महंगा है. किन्तु किसी भी गिरावट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए. इंटरेस्ट रेट साइकिल रिवर्स होने के संकेत मिल चुके है जो बाजार के लिए सकारात्मक माहौल बना सकता है. दूसरी और मौसम विभाग ने वर्ष 2024 में सामान्य से थोड़ा अधिक वर्षा होने का अनुमान लगाया है. जो की बाजार के लिए सकारात्मक है. इनसब पॉजिटिव खबरों के कारन अनुमान लगा सकते है की आने वाले समय में डोमेस्टिक इन्वेस्टर्स के माध्यम से बाजार में और अधिक पैसे इंजेक्ट किये जा सकते है.

आइये घरेलू संस्थागत निवेशक और विदेशी संस्थागत निवेशक के भागीदारी को आंकड़ों के माध्यम से समझने की कोसिस करते है.

FINANCIAL YEARDIIS (Rs in Cr)FIIS (Rs in Cr)
FY 2014-15-1926463761
FY 2015-1678687-44909
FY 2016-172993225362
FY 2017-18114600-78531
FY 2018-1972407-26002
FY 2019-20128208-90044
FY 2020-21-132389201377
FY 2021-22221660-274244
FY 2022-23255236-198639
FY 2023-24206717-14394

देखा जाए तो विगत 10 फाइनेंशियल ईयर में NDA के सुरुवाती दौर में सिर्फ प्रथम साल में घरेलू संस्थागत निवेशक ने हलके अमाउंट (19000 cr ) की बिकवाली की जबकि फाइनेंसियल ईयर 2013-2014 जो की UPA के शासन काल का अंतिम वर्ष था उसमे इन्होने लगभग 54000 cr की बिकवाली की थी। मोदी के शासन काल के प्रथम वर्ष के अलावा फाइनेंसियल ईयर 2020 – 2021 में बिकवाली दिखी। इसका सबसे बड़ा वजह कोविड महामारी था. लोग अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए जमा पैसे निकाल रहे थे. किन्तु घरेलू संस्थागत निवेशक के निवेश का सिलसिला यही नहीं रुका और इनकी वापसी  जोरदार तरीके से हुवी। जहा शुरुआती दौर में आकड़ा माइनस में था वही विगत फाइनेंसियल ईयर 2023 – 2024 में ये आंकड़ा 2 लाख करोड़ के ऊपर है. वही विदेशी संस्थागत निवेशक पिछले 10 फाइनेंसियल ईयर में ये नेट खरीदारी में महज 3 वर्ष ही रहे बाकि के 7 वर्ष शुद्ध बिकवाली में रहे. (ये आंकड़ा कैश मार्किट का है.). ये आंकड़ा साफ़ बतलाता है की घरेलू संस्थागत निवेशक के पास पैसो की कमी नहीं है. और किसी भी बिकवाली के दबाव को अब्सॉर्ब करने की है. छमता इनमे है.

पिछले कुछ वर्षो से जिओ पोलिटिकल कंसर्न बढे है. और विश्व 2 -3 युद्ध भी देखा है. महंगाई भी चरम पे थी इसके बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशक ने जमकर भारत के ग्रोथ स्टोरी में योगदान किया है। और आगे भी इनका योगदान बढ़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है. मोदी के नेतृत्व में देश विकाश कर रहा है. बड़ी-बड़ी   कंपनियां भारत में निवेश करना चाह रही है. विश्व के सबसे रिचेस्ट पर्सन एलेन मस्क भी भारत की और अपना रुख कर चुके है. निश्चित तौर पे हम हम कह सकते है की भारत में पिछले 10 वर्षो में निवेश का व्यापक माहौल तैयार हुवा है. अगले 2 से 3 वर्षो में हम विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने जा रहे है.

किसी भी देश के शेयर बाजार में बुल्स की व्यापक भागीदारी तभी होती है जब उस देश की सरकार मजबूत हो और व्यापक निर्णय लेने के छमता, गुड गवर्नेंस  के साथ-साथ देश में ग्रोथ एंड अर्निंग्स को लेके ट्रांस्परेन्सी हो। ये सभी गुण आज भारत में स्पस्ट दिखाई पड़ता है. बाजार को हमेसा यही स्पस्टता पसंद होती है. विशेषज्ञों के अनुसार, भारत देश एक उत्कृष्ट प्रदर्शनकर्ता के रूप में उभरा है और इस दशक में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। विश्व की रेटिंग एजेंसियां भारत की विकास गाथा को लेकर कफी उत्साहित हैं. भारत विश्व का एक भरोसेमन्द निवेश मित्र देश बन गया है. जो अभी और कई देश को अपने और आकर्षित करेगा. क्यों की आज भारत एक ईमानदार, कर्मठ और विजनरी नेतृत्व के हांथों में है. और अगर भारत इसी दिशा में बढ़ता रहा तो 2047 तक हम निश्चित तौर पे एक विकसित देश बनते हुवे अपनी आजादी की 100 वी वर्षगाठ मनाएंगे.

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