मोबाइल की लत से बढ़ रहा ऑटिस्टिक स्प्रेक्ट्रम डिजऑर्डर का खतरा

Date:

डॉ पी मिश्र
क्या आपका लाडला भी दिन भर मोबाइल के साथ चिपका रहता है। उससे मोबाइल लेने की कोशिश से वह भड़क उठता है। जोर जोर से रोने लगता है नोचने झपटने लगता है। जिद मचा देता है। आसमान सिर पर उठा लेता है। अगर ऐसी स्थिति तो संभल जाएं। हो न हो मोबाइल से उत्पन्न होने वाली गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आ रहा है। बाल रोग और मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास अब मोबाइल की लत से बीमार बच्चों के केस आने लगे हैं। छोटे शहर में भी एक अनुमान के अनुसार सप्ताह में दर्जन भर ऐसे बच्चों के केस आ रहे हैं।
बच्चों में मोबाइल की लत गंभीर चिंता की बात: डॉ विकास
हजारीबाग के शिशु बाल रोग विशेषज्ञ डॉ विकास कुमार सिंह कहते हैं कि उनके पास हर दो तीन दिन में एक दो बच्चे ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम डिजऑर्डर जैसे लक्षण से ग्रसित बच्चे मिल रहे हैं। जो गंभीर चिंता का कारण है। वह कहते हैं कि ऐसे बच्चों की जयादातर घंटो मोबाइल पर समय बिताने की हिस्ट्री देखी जा रही है। वह कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में मां-बाप के बीच एक यह प्रवृत्ति बढ़ी है कि वह अपने बच्चों का मन बहलाने के लिए उन्हें मोबाइल पकड़ा दे रहे हैं। यह स्थिति घातक साबित हो रही है। वह कहते हैं कि बड़े शहरों की तरह यहां भी बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म की शिकायतें बढ़ रही हैं।

जितना हो सके बच्चों को मोबाइल से दूर रखें: डॉ क्षितिज आनंद
हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ क्षितिज आनंद कहते हैं कि कोरोना काल के बाद मोबाइल की लत में पड़े बच्चों के व्यवहार में काफी बदलाव दिख रहा है। उनमें एक ओर ज्यादा चिड़चिड़ापन दिख रहा है तो दूसरी ओर कई तरह की नई परेशानी भी दिखने लगी है। बच्चे बोलना भी बहुत धीरे धीरे सीख रहे हैं। उनमें एकाकी भाव भी दिख रहा है। वह कहते हैं कि मोबाइल की लत में एक ही तरफ से संवाद होता है जो बच्चों में एकाकी भाव बढ़ा रहा है। सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति शून्य से दो वर्ष की उम्र के बच्चों को लेकर है। अमेरिका से आई गाइडलाइन में इस उम्र के बच्चों को जरा सा भी मोबाइल दिखाना नहीं है। वहीं दो से 5 साल के बच्चे आधा घंटे से अधिक मोबाइल स्क्रीन नहीं देना है। उसी तरह पांच साल से ऊपर के बच्चे एक घंटा तक की अवधि निर्धारित की गयी है। इसके बाद भी घंटों बच्चे मोबाइल के साथ चिपके रहते हैं।

अपने बच्चों के लिए माता पिता को समय निकालना होगा: डॉ रूपा घोष
एचएमसीएच की मनोरोग चिकित्सक डॉ रूपा घोष कहती हैं कि मोबाइल की लत के कारण बच्चों में फोकस करने की क्षमता का ह्रास हो रहा है। उनके पास इलाज के लिए कई ऐसे बच्चे आ रहे हैं जिन्हें मोबाइल की लत के कारण पूरा व्यवहार बदल जाता है। उन्हें किसी दूसरी चीज में ध्यान नहीं लगता है। न वह अपना टास्क पूरा करते हैं और न ही अन्य काम ठीक से करते हैं वह कहती हैं कि इसके लिए माता पिता को ध्यान देना होगा। किसी भी स्थिति में खुद का पिंड छुड़ाने के लिए बच्चों को मोबाइल नहीं सौंपना होगा। हर हाल में उनके लिए भी समय निकालना होगा। वह कहती है कि रात में अंधेरा करके तो मोबाइल देखने से बच्चों के साथ बड़ों को भी परहेज करना होगा। ज्यादा मोबाइल के इस्तेमाल से अनिद्रा के शिकार भी लोग हो रहे हैं।

एचएमसीएच में पिछले दिनों एक 18 वर्ष की लड़की बेचैनी और घबराहट और गुस्सा की शिकायत पर पहुंची। डॉ बताती हैं कि पूछताछ पर पता चला कि वह फोन के बिना एक मिनट भी नहीं रह पाती थी। यहां तक की फोन चार्ज में होने के दौरान भी उसे बहुत घबराहट होने लगती थी। घर वालों से हमेशा झगड़ पड़ती थी पर डॉक्टर की काउंसिलिंग से वह ठीक हुई है।

एचएमसीएच में एक दस के लड़के को उसकी मम्मी लेकर आई थी। उसकी मम्मी ने बताया कि वह भी दिन भर मोबाइल में गेम खेलता रहता था। इससे वह पढ़ाई में बिल्कुल कमजोर हो गया है। चिड़चिड़ा भी हो गया है। किसी की बात नहीं सुनता है। डॉक्टर ने उसकी काउंसिलिंग की है। साथ ही दवा भी दी है। वह सुधार की राह पर है पर पूरी तरह ठीक नहीं हुआ है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Supreme Court rejects review petitions, finds no error in same-sex marriage verdict.

On Thursday, the Supreme Court dismissed multiple petitions seeking...

Dallewal urges Punjab BJP leaders to approach Modi, not Akal Takht, for resolution

Farmer leader Jagjit Singh Dallewal, whose fast-unto-death entered its...

गाजियाबाद में महिला ने ऊंची इमारत से लगाई छलांग, पुलिस कर रही मामले की जांच

संजय कुमार, संवाददाता गाजियाबाद(Ghaziabad) से एक दिल दहला देने...

Dense fog in North India delay in flights, trains

A dense fog blanketed North India on Friday morning,...