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सुप्रीम कोर्ट सख्त: हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास पेड़ों की कटाई पर लगाई फटकार!
हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास कांचा गचीबावली इलाके में पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि “हमें पर्यावरण को हुए नुकसान पर गहरी चिंता है।” वीडियो देखकर कोर्ट ने कहा कि जानवर आश्रय की तलाश में भागते दिख रहे हैं — यह बेहद चिंताजनक है।
कोर्ट ने पूछा — पेड़ों को काटने की इतनी जल्दी क्या थी?
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से कहा है कि वह 100 एकड़ भूमि पर जंगल और हरियाली को बहाल करने की योजना बनाए। साथ ही, राज्य के वन्यजीव वार्डन को निर्देश दिया गया है कि वे प्रभावित इलाक़े का दौरा कर वन्यजीवों की स्थिति की जांच करें और उनकी सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाएं।
मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी। तब तक कोई भी पेड़ नहीं काटा जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास 400 एकड़ भूमि पर पेड़ों की कटाई की जा रही थी। यह ज़मीन राज्य सरकार की बताई जा रही है, जिसे तेलंगाना इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन (TIFC) को विकास के लिए आवंटित किया गया। 30 मार्च से इस ज़मीन पर पेड़ों की कटाई शुरू की गई, जिसका छात्रों और पर्यावरणविदों ने विरोध शुरू कर दिया।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है। जबकि सरकार का दावा है कि यह भूमि विश्वविद्यालय की नहीं बल्कि राज्य की है, और किसी कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है।
इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 3 अप्रैल को आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक वहां कोई भी निर्माण या कटाई की गतिविधि नहीं होगी — केवल पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक केंद्रीय समिति को भी साइट का दौरा करने और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।